ਆਸਾ ਮਹਲਾ ੫ ਅਸਟਪਦੀਆ ਘਰੁ ੨
आसा महला ५ असटपदीआ घरु २||
Asa, Mejl Guru Aryan, Quinto Canal Divino, Ashtapadis.
ੴ ਸਤਿਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥
ੴ सतिगुर प्रसादि ॥
Un Dios Creador del Universo, por la Gracia del Verdadero Guru
ਪੰਚ ਮਨਾਏ ਪੰਚ ਰੁਸਾਏ ॥
(हे भाई ! जिस मनुष्य को गुरू ने ज्ञान की दाति दी उस मनुष्य ने अपने शरीर-नगर में सत-संतोष-दया-धर्म-धैर्य -ये) पाँचों प्रफुल्लित कर लिए।और कामादिक (विकार) पाँचों नाराज कर लिए।
Cuando las cinco Virtudes se volvieron mis aliadas y las cinco pasiones se alejaron de mí entonces el pueblo de mi cuerpo proliferó, oh hermano. (1)
ਪੰਚ ਵਸਾਏ ਪੰਚ ਗਵਾਏ ॥੧॥
(सत्य-संतोष आदि) पाँचों (अपने शरीर रूपी नगर में) बसा लिए।और कामादिक पाँचों (नगर में से) निकाल बाहर किए। 1।
ਇਨ੍ਹ੍ਹ ਬਿਧਿ ਨਗਰੁ ਵੁਠਾ ਮੇਰੇ ਭਾਈ ॥
हे मेरे भाई ! इस तरह उस मनुष्य का शरीर-नगर बस गयाऔर
ਦੁਰਤੁ ਗਇਆ ਗੁਰਿ ਗਿਆਨੁ ਦ੍ਰਿੜਾਈ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
गुरू ने (जिस मनुष्य को) आत्मिक जीवन की सूझ पक्की तरह से दे दी (उसके अंदर से) विकार-पाप दूर हो गए। । 1।रहाउ।
La maldad se quitó de mí y la Sabiduría del Guru
ਸਾਚ ਧਰਮ ਕੀ ਕਰਿ ਦੀਨੀ ਵਾਰਿ ॥
saach Dharam kee kar deenee vaar.
The fence of true Dharmic religion has been built around it.
(हे भाई ! जिस गुरू ने ज्ञान बख्शा।उसने अपने शरीर नगरी की रक्षा के लिए) सदा-स्थिर प्रभू के नित्य की सिमरन की वाड़ दे ली।
El pueblo fue fortificado con la Verdad y la Rectitud
ਫਰਹੇ ਮੁਹਕਮ ਗੁਰ ਗਿਆਨੁ ਬੀਚਾਰਿ ॥੨॥
गुरू के दिए ज्ञान को सोच-मण्डल में टिका के उसने अपनी खिडकियां (ज्ञानेन्द्रियां) पक्की कर लीं। 2।
fue enaltecida en mi mente. (1‑Pausa)
ਨਾਮੁ ਖੇਤੀ ਬੀਜਹੁ ਭਾਈ ਮੀਤ ॥
हे मेरे मित्र ! हे मेरे भाई ! शरीर-खेती में परमात्मा का नाम बीजा करो।
y la Sabiduría del Guru se instaló como Portón. (2)
ਸਉਦਾ ਕਰਹੁ ਗੁਰੁ ਸੇਵਹੁ ਨੀਤ ॥੩॥
तुम भी सदा गुरू की शरण लो।शरीर नगर में परमात्मा के नाम का सौदा करते रहो। 3।
Y se plantó la Semilla del Naam, el Nombre del Señor en la granja,
ਸਾਂਤਿ ਸਹਜ ਸੁਖ ਕੇ ਸਭਿ ਹਾਟ ॥
उनकी सारे हाट (दुकानें।ज्ञानेन्द्रियां) शांति।आत्मिक अडोलता और आत्मिक आनंद के हाट बन जाते हैं।
y comercié sólo al Servicio del Guru. (3)
ਸਾਹ ਵਾਪਾਰੀ ਏਕੈ ਥਾਟ ॥੪॥
हे भाई ! जो (सिख-) वणजारे (गुरू-) शाह के साथ एक रूप हो जाते हैं4।
Paz y Equidad llenaron las tiendas del pueblo
ਜੇਜੀਆ ਡੰਨੁ ਕੋ ਲਏ ਨ ਜਗਾਤਿ ॥
कोई (पाप-विकार उनके हरि-नाम के सौदे पर) जजीआ दण्ड महिसूल नहीं लगा सकता (कोई विकार उनके आत्मिक जीवन में कोई खराबी पैदा नहीं कर सकता)
y los comerciantes del Señor habitaron en el mismo lugar. (4)
ਸਤਿਗੁਰਿ ਕਰਿ ਦੀਨੀ ਧੁਰ ਕੀ ਛਾਪ ॥੫॥
(हे भाई ! जिन्हें गुरू ने ज्ञान की दाति दी उनके शरीर-नगर के वास्ते) गुरू के प्रभू-दर से परवान हुई माफी की मोहर की मोहर बख्श दी।। 5।
No existió ningún impuesto en los bienes ni cargos de ningún tipo
ਵਖਰੁ ਨਾਮੁ ਲਦਿ ਖੇਪ ਚਲਾਵਹੁ ॥
हे मेरे मित्र ! हे मेरे भाई ! गुरू की शरण पड़ के तुम भी हरि-नाम सिमरन का सौदा लाद के (आत्मिक जीवन का) व्यापार करो।
pues los bienes son del Propio Señor, y son grabados por el Señor Eterno. (5)
ਲੈ ਲਾਹਾ ਗੁਰਮੁਖਿ ਘਰਿ ਆਵਹੁ ॥੬॥
lai laahaa gurmukh ghar aavhu. ||6||
Earn your profit, as Gurmukh, and you shall return to your own home. ||6||
(ऊँचे आत्मिक जीवन का) लाभ कमाओ और प्रभू के चरणों में ठिकाना प्राप्त करो। 6।
El Naam, el Nombre del Señor es la Mercancía; carga tus maletas con Él
ਸਤਿਗੁਰੁ ਸਾਹੁ ਸਿਖ ਵਣਜਾਰੇ ॥
(हे भाई ! नाम का सरमाया गुरू के पास है) गुरू (ही इस सरमाए का) शाहूकार है (जिस से आत्मिक जीवन का) व्यापार करने वाले सिखहरि-नाम का सरमाया हासिल करते हैं
y ganando la utilidad, regresa a tu Hogar en Paz por la Gracia del Guru. (6)
ਪੂੰਜੀ ਨਾਮੁ ਲੇਖਾ ਸਾਚੁ ਸਮ੍ਹਾਰੇ ॥੭॥
(जिस सिख को गुरू ने ज्ञान की दाति दी है वह) सदा-स्थिर प्रभू को अपने हृदय में संभाल के रखता है (यही है) लेखा-हिसाब (जो वह नाम-वणज में करता रहता है)। 7।
El Guru Verdadero es el Banquero; y sus Sikjs son Sus comerciantes
ਸੋ ਵਸੈ ਇਤੁ ਘਰਿ ਜਿਸੁ ਗੁਰੁ ਪੂਰਾ ਸੇਵ ॥
हे नानक ! (कह– हे भाई !) पूरा गुरू जिस मनुष्य को प्रभू की सेवा-भक्ति की दाति बख्शता है वह इस (ऐसे हृदय-) घर में बसता रहता है
Quien sirve al Guru Perfecto, habita en tal lugar.
ਅਬਿਚਲ ਨਗਰੀ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ॥੮॥੧॥
जो परमात्मा के रहने के लिए (विकारों में) कभी ना डोलने वाली नगरी बन जाता है। 8। 1। Nanak dice, este es el Comercio Divino con tu Dios. (8-1)