ਆਸਾ ਮਹਲਾ ੫ ॥
ਆਸਾ ਮਹਲਾ ੫ ||
Asa, Mejl Guru Aryan, Quinto Canal Divino.
ਜਨਮ ਜਨਮ ਕੀ ਮਲੁ ਧੋਵੈ ਪਰਾਈ ਆਪਣਾ ਕੀਤਾ ਪਾਵੈ ॥
(निंदक) दूसरों के अनेकों जन्मों के किए विकारों की मैल धोता है (और वह मैल।वह अपने मन के अंदर संस्कारों के रूप में इकट्ठी कर लेता है।इस तरह वह) अपने किए कर्मों का बुरा फल स्वयं ही भोगता है।
En cada vida, uno lava la mancha de otros, pero cosecha sus propios actos.
ਈਹਾ ਸੁਖੁ ਨਹੀ ਦਰਗਹ ਢੋਈ ਜਮ ਪੁਰਿ ਜਾਇ ਪਚਾਵੈ ॥੧॥
(निंदा के कारण उसको) इस लोक में सुख नहीं मिलता।परमात्मा की हजूरी में भी उसे आदर की जगह नहीं मिलती।वह नर्क में पहुँच के दुखी होता रहता है। 1।
No hay felicidad en esto aquí, y en el más allá, el Señor de la Muerte lo destruye. (1)
ਨਿੰਦਕਿ ਅਹਿਲਾ ਜਨਮੁ ਗਵਾਇਆ ॥
(हे भाई !) संत की निंदा करने वाले मनुष्य ने (निंदा के कारण अपना) कीमती मानस जनम गवा लिया।
El calumniador ha perdido su vida,
ਪਹੁਚਿ ਨ ਸਾਕੈ ਕਾਹੂ ਬਾਤੈ ਆਗੈ ਠਉਰ ਨ ਪਾਇਆ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
(संत की निंदा करके वह ये आशा करता है कि उन्हें दुनिया की नजरों में गिरा के मैं उनकी जगह आदर-सत्कार हासिल कर लूंगा।पर वह निंदक) किसी भी रूप में (संत जनों) की बराबरी नहीं कर सकता।(निेदा के कारण) आगे परलोक में भी उसे आदर की जगह नहीं मिलती। 1।रहाउ।
y no puede encontrar consuelo en ningún lugar; no tiene base en ningún lugar. (1-Pausa)
ਕਿਰਤੁ ਪਇਆ ਨਿੰਦਕ ਬਪੁਰੇ ਕਾ ਕਿਆ ਓਹੁ ਕਰੈ ਬਿਚਾਰਾ ॥
पर निंदक के भी बस की बात नहीं (वह निंदा जैसे बुरे कर्म से हट नहीं सकता।क्योंकि) पिछले जन्मों के किए कर्मों के संस्कार उस दुर्भाग्यपूर्ण निंदक के पल्ले पड़ जाते हैं (उसके अंदर जाग पड़ते हैं और उसे निंदा की तरफ प्रेरित करते हैं)।
La naturaleza del calumniador es tal, ¿qué puede hacer este desgraciado?
ਤਹਾ ਬਿਗੂਤਾ ਜਹ ਕੋਇ ਨ ਰਾਖੈ ਓਹੁ ਕਿਸੁ ਪਹਿ ਕਰੇ ਪੁਕਾਰਾ ॥੨॥
निंदक ऐसी खराब हुई (निघरी हुई) आत्मिक दशा में ख्वार होता रहता है कि वहाँ (भाव।उस गिरी हुई निघरी दशा में से निकालने के लिए) कोई उसकी मदद नहीं कर सकता।सहायता के लिए वह किसी के पास पुकार करने के काबिल भी नहीं रहता। 2।
Se arruina a sí mismo donde nadie le salvará; ¿a quién puede acudir en busca de ayuda? (2)
ਨਿੰਦਕ ਕੀ ਗਤਿ ਕਤਹੂੰ ਨਾਹੀ ਖਸਮੈ ਏਵੈ ਭਾਣਾ ॥
पति-प्रभू की रजा ऐसे ही है कि (संत-जनों की) निंदा करने वाले मनुष्य को कहीं भी उच्च आत्मिक अवस्था प्राप्त नहीं हो सकती (क्योंकि वह ऊँची आत्मिक अवस्था वालों की तो सदा निंदा करता है।
El calumniador no tiene salvación en ninguna parte; así es el designio del Creador.
ਜੋ ਜੋ ਨਿੰਦ ਕਰੇ ਸੰਤਨ ਕੀ ਤਿਉ ਸੰਤਨ ਸੁਖੁ ਮਾਨਾ ॥੩॥
दूसरी तरफ़) ज्यों-ज्यों कोई मनुष्य संत-जनों की निंदा करता है (कमियां बयान करजा है) त्यों-त्यों संत-जन इस में सुख प्रतीत करते हैं (उनको अपने आत्मिक जीवन की पड़ताल करने का मौका मिलता रहता है)। 3।
Aquellos que calumnian a los santos, encuentran paz en la angustia de los santos. (3)
ਸੰਤਾ ਟੇਕ ਤੁਮਾਰੀ ਸੁਆਮੀ ਤੂੰ ਸੰਤਨ ਕਾ ਸਹਾਈ ॥
हे मालिक प्रभू ! तेरे संत-जनों को (जीवन की अगुवाई के लिए) सदा तेरा ही आसरा रहता है।तू (संतों का जीवन ऊँचा करने में) मददगार भी बनता है।
Los santos se refugian en Ti, oh Señor; Tú eres el apoyo de los santos.
ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਸੰਤ ਹਰਿ ਰਾਖੇ ਨਿੰਦਕ ਦੀਏ ਰੁੜਾਈ ॥੪॥੨॥੪੧॥
हे नानक ! कह– (उस निंदा की बरकति से) संतों को तो परमात्मा (बुरे कर्मों से) बचाए रखता है पर निंदा करने वालों को (उनके निंदा की बाढ़ में) बहा देता है (उनके आत्मिक जीवन को निंदा की बाढ़ में बहा के समाप्त कर देता है)। 4। 2। 41।Dice Nanak, el Señor protege a los santos, y los calumniadores son castigados. (4-2-41)