ਰਾਗੁ ਆਸਾ ਬਾਣੀ ਭਗਤਾ ਕੀ ॥
रागु आसा बाणी भगता की ॥
Tiempo, No Encarnado, Auto Existente, Iluminador, por la Gracia del Verdadero Guru.
ਕਬੀਰ ਜੀਉ ਨਾਮਦੇਉ ਜੀਉ ਰਵਿਦਾਸ ਜੀਉ ॥
पुजई कबीर, नाम देव और रविदास जी
Rag Asa, Versos de los Bhaktas Kabir, Nam Dev y Ravi Das
ਆਸਾ ਸ੍ਰੀ ਕਬੀਰ ਜੀਉ ॥
आसा, महाराज, रिवरेंट कबीर जी
Asa Siri Kabir yi
ਗੁਰ ਚਰਣ ਲਾਗਿ ਹਮ ਬਿਨਵਤਾ ਪੂਛਤ ਕਹ ਜੀਉ ਪਾਇਆ ॥
मैं अपने गुरू के चरणों में लग के विनती करता हूँ और पूछता हूँ- हे गुरू ! मुझे ये बात समझा के बता कि जीव किस लिए पैदा किया जाता है।
Cayendo a los Pies del Guru, rezo y pregunto, ¿por qué el hombre fue creado,
ਕਵਨ ਕਾਜਿ ਜਗੁ ਉਪਜੈ ਬਿਨਸੈ ਕਹਹੁ ਮੋਹਿ ਸਮਝਾਇਆ ॥੧॥
और किस कारण जगत पैदा होता मरता रहता है (भाव।जीव को मानस-जनम की सूझ गुरू से ही पड़ सकती है)। 1।
por qué el mundo va y viene? Por favor, haz que entienda esto. (1)
ਦੇਵ ਕਰਹੁ ਦਇਆ ਮੋਹਿ ਮਾਰਗਿ ਲਾਵਹੁ ਜਿਤੁ ਭੈ ਬੰਧਨ ਤੂਟੈ ॥
हे गुरुदेव ! मेरे पर मेहर कर।मुझे (जिंदगी के सही) रास्ते पर डाल।जिस राह पर चलने से मेरे दुनिया वाले सहम और माया वाली जंजीरें टूट जाएं।
Oh Guru Divino, muéstrame Tu Misericordia y guíame en Tu Sendero para que las amarras del miedo me sean abolidas
ਜਨਮ ਮਰਨ ਦੁਖ ਫੇੜ ਕਰਮ ਸੁਖ ਜੀਅ ਜਨਮ ਤੇ ਛੂਟੈ ॥੧॥ ਰਹਾਉ ॥
मेरे पिछले किए कर्मों के अनुसार मेरी जिंद के सारी उम्र के जंजाल बिल्कुल ही समाप्त हो जाएं। 1।रहाउ।
y no tenga que pasar más por el dolor de nacimientos y muertes, de placeres y vicios, y las aflicciones de las criaturas nacidas de la matriz no se den más en mí. (1‑Pausa)
ਮਾਇਆ ਫਾਸ ਬੰਧ ਨਹੀ ਫਾਰੈ ਅਰੁ ਮਨ ਸੁੰਨਿ ਨ ਲੂਕੇ ॥
हे मेरे गुरुदेव ! मेरा मन (अपने गले से) माया की जंजीरों के बंधन तोड़ता नहीं।ना ही यह (माया के प्रभाव से बचने के लिए) सुंन प्रभू में जुड़ता है।
Hasta que uno corta las amarras de Maya y se refugia en el Señor Absoluto,
ਆਪਾ ਪਦੁ ਨਿਰਬਾਣੁ ਨ ਚੀਨ੍ਹ੍ਹਿਆ ਇਨ ਬਿਧਿ ਅਭਿਉ ਨ ਚੂਕੇ ॥੨॥
मेरे इस मन ने अपने वासना-रहित असल की पहचान नहीं की।और इन बातों से इसका कोरा-पन दूर नहीं हुआ। 2।
uno no conoce el ser interior, ni el Estado de Nirvana y tampoco es liberado de la duda. (2)
ਕਹੀ ਨ ਉਪਜੈ ਉਪਜੀ ਜਾਣੈ ਭਾਵ ਅਭਾਵ ਬਿਹੂਣਾ ॥
हे गुरुदेव ! मेरा मन ! जो अच्छे-बुरे ख्यालों की परख करने के अस्मर्थ था।इस जगत को-जो किसी हालत में भी प्रभू से लग टिक नहीं सकता-उससे अलग हस्ती वाला समझता रहा है।
Eso que no es, él debería de saber que es y quitarse de las distinciones del ser y del no ser, del nacimiento y de la muerte.
ਉਦੈ ਅਸਤ ਕੀ ਮਨ ਬੁਧਿ ਨਾਸੀ ਤਉ ਸਦਾ ਸਹਜਿ ਲਿਵ ਲੀਣਾ ॥੩॥
(पर तेरी मेहर से जब से) मेरे मन की वह मति नाश हो गई है।जो जनम-मरण के चक्कर में डालती थी।तब से (ये मन) सदा अडोल अवस्था में टिका रहता है। 3।
Sólo así se podrá inmergir en la Paz del Equilibrio. (3)
ਜਿਉ ਪ੍ਰਤਿਬਿੰਬੁ ਬਿੰਬ ਕਉ ਮਿਲੀ ਹੈ ਉਦਕ ਕੁੰਭੁ ਬਿਗਰਾਨਾ ॥
हे कबीर ! अब कह– (हे गुरुदेव !) जैसे।जब पानी से भरा हुआ घड़ा टूट जाता है तब (उस पानी में पड़ने वाला) प्रतिबिंब पानी के साथ ही मिल जाता है (अर्थात।जैसे पानी और प्रतिबिंब की हस्ती उस घड़े में से समाप्त हो जाती है)।
Así como la vasija se rompe y la reflexión en el agua se inmerge en el objeto reflejado,
ਕਹੁ ਕਬੀਰ ਐਸਾ ਗੁਣ ਭ੍ਰਮੁ ਭਾਗਾ ਤਉ ਮਨੁ ਸੁੰਨਿ ਸਮਾਨਾਂ ॥੪॥੧॥
वैसे ही तेरी मेहर से रस्सी (और साँप) वाला भुलेखा मिट गया है (ये भुलेखा नहीं रहा कि ये दिखता जगत परमात्मा से कोई अलग हस्ती है)।और मेरा मन सुंन प्रभू में टिक गया है। 4। 1। así uno se inmerge en el Señor Absoluto cuando la duda es disipada. (4-1)